जीवन के व्यापार में, दाम लगाकर बढ़ना सीखें, दर्द छुपा मुसकाना सीखें, सर्प का दंश पी जाना सीखें, एक हुनर ऐसा भी सीखें । बिना वजह ही हँसना सीखें, बिन मदिरा के उड़ना सीखें , बिन साथी भी जीना सीखें, गिरकर आप संभलना सीखें, एक हुनर ऐसा भी सीखें। बिन आवाज़ भी लड़ना सीखें, परिस्तिथि को अनुकूल करना सीखें, कभी उसमें ढलना भी सीखें, बिन ढोल जश्न मनाना सीखें, एक हुनर ऐसा भी सीखें। मस्तिष्क और मन का द्वंद्व हो जब, मस्तिष्क को आप जिताना सीखें, मन में जो उठे तूफ़ान, उसमें ना बह जाना सीखें, एक हुनर ऐसा भी सीखें । क्रोध और विलाप में ना हों लुप्त, ऐसा धैर्य रखना भी सीखें, प्रतिशोध की ज्वाला से, खुद को आप बचाना सीखें, एक हुनर ऐसा भी सीखें। बिखरे हो जो रिश्तों के मोती, पिरोकर माला बनानी सीखें, यदि मिले शीश झुकाकर अमोल प्रेम, अहम् भुलाकर झुकना सीखें, एक हुनर ऐसा भी सीखें। अंत नही होती एक हार, आस्था ऐसी रखनी सीखें, हरी दर्शन हो सब में ही, ऐसी प्रीत लगाना सीखें, एक हुनर ऐसा भी सीखें।